शैली

हरिऔध जी ने विविध शैलियों को ग्रहण किया है। मुख्य रूप से उनके काव्य में निम्नलिखित शैलियाँ पाईं जाती हैं- १. संस्कृत-काव्य शैली- प्रिय प्रवास में। २. रीतिकालीन अलंकरण शैली- इस कलश में। ३. आधुनिक युग की सरल हिंदी शैली- वैदेही-वनवास में। ४. उर्दू की मुहावरेदार शैली- चुभते चौपदों और चोखे चौपदों में।

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