हरिऔध जी ने ठेठ हिंदी का ठाठ, अधखिला फूल, हिंदी भाषा और साहित्य का विकास आदि ग्रंथ-ग्रंथों की भी रचना की, किंतु मूलतः वे कवि ही थे उनके उल्लेखनीय ग्रंथों में शामिल हैं: -
- प्रिय प्रवास
- वैदेही वनवास
- पारिजात
- रस-कलश
- चुभते चौपदे,चौखे चौपदे
- ठेठ हिंदी का ठाठ
- अध खिला फूल
- रुक्मिणी परिणय
- हिंदी भाषा और साहित्य का विकास
प्रिय प्रवास, हरिऔध जी का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह हिंदी खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य है। इसे मंगलाप्रसाद पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।
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